युद्ध और इंसानियत

HINDISTORYJUNE 2024

7/3/20241 min read

अंधेरे रात में, आतंकवादी और भारतीय सेना के बीच संघर्ष का दृश्य अत्यंत उत्कृष्ट था। सेना के जवान, नकाब पहने हुए, रात की गहराईयों में चुपचाप आगे बढ़ रहे थे। तीव्र नकाब और रात की अधं कार में लुप्त होने वाली आवाजों के बीच, युद्धक्षेत्र में एक अत्यंत तनावपूर्ष माहौल बना हुआ था। भारतीय सेना के जवान धीरे – धीरेआगे बढ़ रहे थे, सुननश्श्च करते हुए कक उनको प्रकट नहीं होना है। अचानक, एक अनूठा चमक और ध्वनन की लहर उठी, जब एक नकाब पोस भारतीय योद्धा ने दश्ुमनी रैंपर पर हमला ककया। तभी दश्ुमनों के रेडियो पर एक आवाज आया कक कबीर आ गया है तभी समाने से एक नौजवान चल के आ रहा था, 6 फुट 3 इंच लंबा, चँद की रौशनी में उसकी गहरी काली आँखें श्जसमें दश्ुमनों को खत्म करने का जुननू साफ़ तौर से ददखाई दे रहा था, वो आदमी हाथ में ए-के-47 राइफल ललए चलते हुए दश्ुमनों को मौत के घाट उतार रहा था । शत्रुसेना के ललए आज वो स्वयं यमराज था । यह नकाब पोस व्यश्तत और कोई नहीं बश्कक मेजर कबीर शेखावत था, श्जसके नाम मात्र से ही दष्ुमन िर के भाग खडा होता था, कबीर कई खुकफया ऑपरेशन को सफलतापूवकष पूरा ककया था, वह सेना के ललए ककसी हीरे से कम नहीं था। तभी दश्ुमन दल के एक लसपाही ने कहा कक आज तक लसफष कबीर के ककस्से सनु े हैंलेककन आज वो हमारे सामने हमारी मौत बनके आया है। उस सैननक की बात सुनकर उनके कप्तान ने कहा- आज ये हमारी मौत बनके नहीं बश्कक अपनी मौत के ललए आया हैं। आज यहाँ से श्जंदा बचके नहीं जायेगा। दोनों ही तरफ से कई घंटों तक अंधाधधुं गोलीबारी चलती रही। अपने दल का नेतत्ृव करते हुए कबीर दश्ुमनों पर भारी पड रहा था। कबीर और उसके साथी दश्ुमन पर भारी पड रहे थे , तभी कबीर के एक साथी ने कहा मेजर ववराट पर आतंकवाददयों ने पीछे से हमला कर ददया, और इस समय वो काफी घायल है। मेजर ववराट जो कबीर का सबसे करीबी दोस्त था उसकी ऐसी हालत सुनकर मानो कबीर का गुस्सा सातवे आसमान पर पहुंच गया, उसने दगु नी तेजी से आतंकवाददयों के इलाके में घुसा और उन्हें मौत के घाट उतारने लगा , उसको जकदी से जकदी अपने दोस्त के पास जाना था । दोनों पक्षों से भरी गोली बारी के बाद काफी सारे आतंकवादी मर गए लेककन उनका कप्तान कायरों की तरह भाग गया । जब कबीर वापस अपने दोस्त ववराट के पास पहुचा तब ववराट अपनी आखखरी साँसे ले रहा था , अपने सबसे अच्छे साथी की ये हालत देखकर कबीर की आंखे भार आयी । अपने आखखरी समय तक ववराट अपने देश के ललए लडा और इस दनुनया को अलववदा कह ददया। जाते जाते ववराट नेकबीर से वादा ललया कक वो दश्ुमनों को जीतने नहीं देगा। अपने साथी की मौत अपनी बाहों में होते देखकर कबीर का ददल मानो हजारों टुकडों में टूट गया। उसने अपने मन में एक दृढ़ संककप ललया कक वो अपने साथी को ददया वादा पूरा कर के रहेगा । जब कबीर दश्ुमनों के अड्िे का मुआयना कर रहा था तब उसे उधर भारी मात्रा में बंदकू और बॉम्ब लमला, शायद वो लोग आगे एक बडे हमले की तैयारी कर रहे थे। तब वहीं पर कबीर को एक छोटा बच्चा लगभग 5 से 6 साल का होगा वो उसे उस घर में लमला वो बच्चा एक अलमारी के पीछे छुपा हुआ था। कबीर को देखकर वो काफी िर गया और जोर जोर से रोने लगा, कबीर ने पहले उस बच्चे को शांत करवाया कफर उसने बच्चे को अपने साथ लमललट्री कैं प लेकर गया, जब से वह बच्चा उन्हें लमला था तबसे वो काफी िरा हुआ था और अभी तक कुछ भी नहीं बोला था । उस बच्चे के बारे में सोचते हुए कबीर की आँखें गुस्से से लाल हो गई, आखखर कोई आदमी एक बच्चे के साथ ऐसा कै से कर सकता था, उस जसै े इंसान को तो इस दनुनया में रहने का कोई हक ही नहीं होना चादहए। तभी कबीर के कमांडि ंग ऑकफसर आ गए , कबीर ने उन्हें सारी घटना का बताया और अब तया करना चादहए उसकी सलाह लेने लगा। कबीर के कमांडि ंग ऑकफसर ने अपने सारे खबररयों को इस बच्चे के माता वपता को ढूंढने- का हुतम ददया, काफी ददनों तक खबररयों ने उस बच्चे के बारे में पता ककया लेककन उन्हें इस बच्चे के बारे में कोई जानकारी हालसल नहीं हुई, दसू री तारफ वो बच्चे का िर कबीर के प्रनत खत्म हो रहा था और अब वो थोडा थोडा बोलने भी लगा था। कबीर का भी उस बच्चे के साथ एक अच्छा संबंध बनने लगा था, कई हफ़्तों बाद आखखर कार उस बच्चे के पररवार के बारे में पता चल गया। जब कबीर और उसके साथथयों को बच्चे के बारे में पता चला तो वो लोग आश्चयषचककत रह गए । उस बच्चे का नाम अयान था, अयान और कोई नहीं बश्कक उस आतंकी दल के कप्तान का बेटा था। उसकी माँउसके पैदा होने के कुछ समय बाद ही गुजर गयी थी और वह अपने वपता के साथ ही रहता था। कबीर के कमांडि ंग ऑकफसर को अब समझ नहीं आ रहा था कक अब तया करना चादहए, उन्हों अपने से वररष्ठ अथधकारी से बात की और इस नतीजे पर पहुंचे कक उन्हें अयान का इस्तेमाल आतंकी दल से बातचीत कर उन्हें मना ले कक वो लोग भारतीय सेना के सामनेआत्मसमपषर् कर ले। जब ये बात कबीर को पता चला तो उसे यह करना दठक नहीं लगा इन सब में अयान को बीच में नहीं लाना चादहए। वो एक धमषसंकट में फस गया एक तरफ उसका देश था श्जसके प्रनत वो वफादार था और साथ ही था ववराट को ददया वादा , अगर वो अपने कमांडि ंग ऑकफसर के हुतम को मानेगा तो वो अपने देश का एक सच्चा लसपाही और अपने साथी को ककया वादा परूा करेगा कहलायेगा वहीं दसू री तरफ उसके सामने उस मासूम अयान का चेहरा आ गया आखखर इन सब मामले में इस बच्चे का तया कसूर हैं। इन सब मामलों में उसकी जान को भी खतरा रहेगा आखखर कप्तान जैसे आदमी पर भरोसा नहीं ककया जा सकता है। अयान उस गलती की सजा तयों भुगते जो उसने कभी ककया ही नहीं। वो एक आतंकवादी का बेटा है तो उसमे वो तया ही कर सकता है। कबीर कोई भी ननर्षय नहीं ले पा रहा था। वो एक ऐसे दवुवधा में फस गया था श्जससे बाहर ननकलने का रास्ता नहीं लमल रहा था। तभी उसके ददमाग में एक ववतलप आया। कबीर ने अपने कमांडि ंग ऑकफसर से बात ककया और उन्हें एक तीसरे रास्ते का मशवरा ददया, उन्हें भी कबीर पर पूरा भरोसा था इसललए उन्होंने कबीर के बताये मागष पर चलने का फै सला ककया। भारतीय सेना ने अयान के वपता से संपकष ककया और उनसे एक अदहंसक तरीके से उनके बीच यद्ुध को समाप्त करने के ललए बातचीत का प्रस्ताव रखा। कप्तान भी इस प्रस्ताव पर हाँ कर ददया। दोनों ही दालों के नायकों के बीच इस लंबी बातचीत के बाद जब अयान को उसके वपता से लमलवाया गया, तब अयान की आँखों में खुद के ललए एक तरह की घर्ृ ा और ना लमलने की चाहत को देखकर कप्तान की आखें भर आयी, युद्ध से भागने के बाद कप्तान को इस बात का पछतावा था कक वो अपने ही बेटे के साथ ऐसा कै से कर सकते हैं। अयान से लमलने के बाद मानो कप्तान का हृदय पररवतषन हुआ और उन्होंने अपने सारे गुनाहों को मान ललया और शाश्न्तपूवषक तरीके से आत्म आत्मसमपषर् कर ददया। जाते वतत कप्तान ने अयान से माफ़ी मांगा और उससे एक अच्छा इंसान बनने को कहा, ना की आतंक के मागष पर चले। इतना अदहंसापूर्ष अंत को देखकर कबीर को भी काफी अच्छा लगा की उसका बताए गए तीसरे मागष ने इस परूी समस्या को अंत कर ददया। कबीर के वररष्ठ अथधकाररयों ने भी उसकी सराहना ककए। आखखर कार कबीर ने अपनी समझदारी से अपने देश के प्रनत अपने कतषव्यों को परूा ककया तथा वीराट को ककया वादा भी पूरा ककया। लेककन इन सब में उसने इंसाननयत का पक्ष भी नहीं छोडा। कबीर नेएक साहसी और अच्छे इंसान की भूलमका बखूबी ननभाई है।

~KHUSHBOO YADAV