याद

POEMS

5/13/20241 min read

आ तुझे लखनऊ की शाम,

और बनारस की सुबह कर लूँ,

कभी मिल मुझे फुरसत से,

तुझे मेरे सीने का दिल कर लूँ,

नदियां मिल जाती है संगम में जैसे,

तू भी मिले कभी तो तुझे इलाहाबाद कर लूँ,

तू मुझे सवारती रहे दिन भर पूरी उम्र,

मैं खुद को तेरे ज़ुल्फो का बाल कर लूँ,

सोचता हूं कि लिखूं कोई किताब,

और तुझे उस किताब की ग़ज़ल कर लूँ,

तेरा इंतज़ार चाहे जितना करना हो मुझे,

तेरी याद में खुद को मै ताज कर लूँ....

- अजय चौरसिया