परिश्रम।

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POEMSHINDIMAY 2024

5/31/20241 min read

अगर जीवन के किसी भी क्षेत्र में करनी है जीत कायम,

तब इंसान को करना पड़ता है परिश्रम हर दम।

परिश्रम सफलता की चाबी सदैव रह चुका है,

जीव को शिव तक पहुंचा चुका है,

असंभव को संभव बना चुका है,

मुश्किलों को आसान बना चुका है,

यह कठिन से कठिन समस्याओं का समाधान भी रह चुका है,

और अज्ञानी को ज्ञानवान, बुद्धिमान बना चुका है,

निर्धन को धनवान भी यही बनाता है,

जीवन विकास में भी यही काम आता है।

भगवान ने भी अथक परिश्रम से इस सुंदर सृष्टि को बनाया,

बड़े-बड़े ग्रहों-उपग्रहों से लेकर छोटे-छोटे कण को भी बनाया,

श्रीमद्भगवद्गीता में स्वयं भगवान योगेश्वर श्रीकृष्ण ने इस बात को स्वीकार किया है,

अधर्म को मिटाने के लिए उन्होंने हर युग अवतार लेकर स्वयं परिश्रम किया है,

संपूर्ण संसार को ऐसा अद्भुत कर्मयोग का ज्ञान दिया,

लोगों का जीवन स्वयं के परिश्रम से सार्थक किया,

ताकि लोगों को जीवन का ज्ञान प्राप्त हो जाए,

जीवन और मृत्यु के चक्र से लोगों को मुक्ति मिल जाए।

हमारे ऋषि-मुनियों ने, संतों ने भी अथक परिश्रम किया है,

वेदों उपनिषदों का ज्ञान सबको दिलवाने का परिश्रम किया है,

तब जाकर इंसान का जीवन तेज पुंज बन पाया है,

और इंसान पहले से बेहतर बन पाया है,

ऋषि वेदव्यास, ऋषि वशिष्ठ, ऋषि विश्वामित्र, ऋषि वाल्मीकि, संत तुकाराम, संत ज्ञानेश्वर, आदि ऋषियों ने, संतों ने भारतीय संस्कृति को अपने परिश्रम द्वारा अहम योगदान दिया है,

और लोगों को ज्ञान का वरदान दिया है,

ज़रूरी है सभी लोगों के लिए इनके कार्यों को जानना,

और हमारी भारतीय संस्कृति की महानता को जानकर कुछ सीखते रहना।

हमारे क्रांतिकारियों ने और बुद्धिजीवियों ने भी हमारे भारत को सुरक्षित रखने और स्वतंत्र करने के लिए अथक परिश्रम किया है,

हम सभी का जीवन तेजस्वी और गौरवशाली बनाया है,

नेताजी सुभाषचंद्र बोस, भगतसिंह, पंडित रामाकृष्ण तेनाली, स्वातंत्र्य वीर सावरकर, छत्रपति शिवाजी महाराज, महाराणा प्रताप, रानी लक्ष्मीबाई आदि क्रांतिकारियों ने अपने अदम्य साहस का परिचय दिया,

अपने परिश्रम से मुगलों को, अंग्रेज़ों को चारों खाने चित्त कर दिया,

इनकी वजह से ही हमारा जीवन खुशहाल बन पाया है,

हमारा भारत विकसित देश बन पाया है,

ज़रूरी है इनके बलिदान को याद करना,

और इनके जीवन से कुछ गुणों को अपने जीवन में लाना।

एक खुशहाल दांपत्य जीवन के लिए परिश्रम ही काम आता है,

पति और पत्नी को एक दूसरे के नज़दीक लाता है,

लड़ाई-झगड़ों को भी ख़त्म करने के लिए दोनों परिश्रम करते हैं,

एक-दूसरे के प्रति प्यार से अपना कर्तव्य निभाने का काम करते हैं,

दोनों हर समस्या का समाधान परिश्रम से ही कर पाते हैं,

और अपने जीवन में खुशहाली और शांति पाते हैं,

इनके प्यार से ही एक नया इंसान जन्म लेता है,

जो पति-पत्नी को माता-पिता होने का सुख देता है।

इंसान जब किशोरावस्था में जीवनयापन करता है,

तब वह माता-पिता के सहारे वह चलने की कोशिश करता है,

साथ ही माता-पिता अपने बच्चे को संस्कारी बनाने के लिए परिश्रम करते हैं,

सही-गलत का अंतर समझाकर उसे बड़ा करते हैं,

आखिरकार माता-पिता और बच्चे की मेहनत रंग लाती है,

और बच्चे को हर कदम पर सफलताएं मिलनी शुरू हो जाती हैं,

परिश्रम से ही इंसान संस्कारी बनता है,

और सही-गलत का बौद्धिक बल से निर्णय ले पाता है।

एक विद्यार्थी को जब अच्छे अंकों के साथ उत्तीर्ण होना होता है,

तब उसे हर विषय पर आधारित पुस्तक को पढ़ने का परिश्रम करना पड़ता है,

हर पुस्तक में बताई हुई बातों को ध्यानपूर्वक समझना ज़रूरी होता है,

पढ़ीं हुई बातों को प्रयोगों में लाकर समझना भी ज़रूरी होता है,

पढ़ने के साथ साथ एक विद्यार्थी के लिए ज़रूरी है जानना,

कि अर्जित किए हुए ज्ञान को ज़रूरी है हज़म करना,

तब ही वह विद्यार्थी काबिल इंसान बन पाता है,

विनम्रता से जीवन में आगे बढ़ पाता है और यश अर्जित करता है।

नौकरी या व्यापार में यदि इंसान को तरक्की करना है,

तो वहां भी इंसान को परिश्रम करना है,

लोगों के साथ रिश्ता अच्छा कैसे बनाना,

सहकर्मियों के साथ अच्छे से काम कैसे करना,

सहकर्मियों को उनका वेतन सही वक्त पर देना,

ग्राहकों को उचित सुविधाएं देना,

परिश्रम से ये सब संभव होता है,

इंसान धन और विजय प्राप्त कर पाता है।

अगर रिश्तों में दूरियां आ जातीं हैं,

तब इंसान के अथक परिश्रम से ही लोगों में नजदीकियां बढ़ जातीं हैं,

इंसान के लिए सभी रिश्तेदारों के मन की बातों को समझना ज़रूरी होता है,

उनके साथ समय बिताना उसके लिए ज़रूरी होता है,

तब जाकर ही समस्याओं का समाधान निकलता है,

और परिवारजनों को आनंद मिलता है,

तब जाकर ही परिवार में एकता बढ़ती है,

और हर एक के जीवन में खुशहाली आती है।

जब देश को समृद्ध और विकसित बनाना होता है,

तब देश के प्रधानमंत्री और हर राज्य के मुख्यमंत्री का एकजुट होना ज़रूरी होता है,

अच्छी सुविधाएं लोगों को मिले, इसपर चर्चा करने का परिश्रम करना ज़रूरी होता है,

फिर चर्चाओं पर आधारित योजनाओं को कार्यान्वित करना ज़रूरी होता है,

योग्य वस्तुएं, योग्य सामग्रियों को शामिल करना होता है,

उचित लोगों का चयन करके उन्हें उचित मार्गदर्शन देना होता है,

तब जाकर अच्छी सड़कें, अच्छे मकान, अच्छे मैदान, बिजली आदि लोगों को प्राप्त होते हैं,

और लोग इन सभी सुविधाओं से लाभान्वित होते हैं।

लेकिन आजकल के लोग केवल अपना स्वार्थ देखते हैं,

दूसरों की जेब से धन छीनना कैसे, केवल यही देखते हैं,

सही-गलत नहीं सोचते हैं और बेईमानी करते हैं,

दूसरों को ठगकर धन अर्जित करते हैं,

ऐसे लोगों को यह समझना ज़रूरी है,

कि परिश्रम से जीवन में कामयाब होना ज़रूरी है,

गलत काम करके अर्जित किया हुआ धन क्षणिक होता है,

इंसान का इस राह पर चलने से नाश होता है।

इसलिए अपने जीवन में परिश्रम को प्राथमिकता दीजिएगा,

साथ ही भगवान को केंद्र में रखकर मेहनत करते रहिएगा,

अपने कौशल को निखारने का काम ईमानदारी से करते रहिएगा,

साथ ही श्रीमद्भगवद्गीता जैसे जीवनग्रंथ से ज्ञान सीखते रहिएगा,

स्वयं के साथ साथ दूसरों को भी मार्गदर्शन देते रहिएगा,

लोगों को परिश्रम से जीवन जीना सिखाते रहिएगा,

समय-समय पर अपना आयकर भरकर देश के विकास में अपना योगदान देते रहिएगा,

और अपनों के साथ रिश्तों को अच्छा बनाए रखने की तरफ काम करते रहिएगा,

तब जाकर सभी का जीवन विकास हो पाएगा,

और हमारा देश सभी के परिश्रम से सशक्त बन पाएगा।

शुक्रिया!

-कवि मकरंद रमाकांत जेना-