नूर तेरा कुछ युँह सा लागे!
POEMSHINDIMAY 2024
5/31/20241 min read
नूर तेरा कुछ युँह सा लागे!
तेरे चेहरे की हस्सी इस तरह मेरे दिल पे आकर रुक सी गयी है!
तेरे नज़रिये ने मुझे अपनी नज़र पे सवाल करने पे मजबूर कर सी गयी है!
तुम्हारी वह आँखें जिसमे मैं देखना चाहूँ मेरा भरा पूरा आसमान,
तुम्हारी अदाओं पे मैं कुछ इस तरह सिमट गया हूँ की अब समेटा न जायूँ!
तुम्हारे मुख से हर वो बात,
लगे जैसे गुलाबी बारिश हो!
तुम्हारी हर सांस में मुझे दिखे वह सब जिसके मैं सपने बुन्नता हज़ार!
एक बार ज़रा हसदो मोहतरमा,
तुम्हारी हस्सी से ही घायल होजाएंगे हम बेपना
--RISHABH RAJESH