लम्हा

POEMSHINDIMAY 2024

5/31/20241 min read

गुजरते हुए लम्हो ने मुझे, दिखाया एक नजारा है,

बोहोत दिनों बाद मैने, खुद के दिल क़ो पुकारा है...१

ठहर सी जाती है सांसे मेरी, आजकल गरम रातों में,

लागता है के सच न बोल दु, बेबस बातों बातों में...२

सोचता हूं की हर मंज़र पर, अपना जहाँ बनाना है,

आहिस्ता आहिस्ता चोरी छुपे, वापस चले जाना है...३

उससे पहले जी भर देख लू, तुम्हें इन्ह नम आंखों से,

ऐ ज़िन्दगी, थम जा यहां, सुलझने दे सांस सांसो से...४

© श्री. अजिंक्य अविनाश मोदगी