कलम और तलवार।

HINDIPSYCHOLOGYAUGUST 2024

9/11/20241 min read

कहते हैं “With great power comes great responsibility” - बड़ी ताकत के साथ बड़ी ज़िम्मेदारी भी आती है। जिस विषय पर मैं आप सभी के सामने मत रखने वाला हूं, उस विषय में मौजूद दोनों ही चीज़ों पर यह कहावत बिलकुल ठीक बैठती है। और वह विषय है – कलम और तलवार।

चाहे समय कैसा भी हो, कहीं का भी हो, किसी का भी हो, कलम और तलवार दोनों ही चीज़ों की वजह से या तो इंसान अपने जीवन में तरक्की कर पाया है या तो नुकसान कर पाया है। कलम कितने मायनों में अहम रहा है – किसी को खत या संदेश लिखना हो, कोई स्तोत्र या ग्रंथ लिखना हो, कोई किताब लिखने की आवश्यकता हो, ऐतिहासिक घटनाओं के बारे में लिखना हो, ज़मीन जायदाद से संबंधित कागजात तैयार करने हों, हिसाब करना हो, किसी के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज करवाना हो, अखबार छपवाना हो या अखबार में विज्ञापन छपवाना हो, कहानी या कविता लिखनी हो, ऋषि मुनियों के कार्यों के बारे में लिखने की बात हो, या फिर साधु संतों के कार्यों के बारे में लिखने की बात हो। कलम से इंसान को इतनी ताकत मिलती है कि वह मृत व्यक्ति को भी जीवित कर सकता है - उस व्यक्ति के विचारों का, उसके कार्यों का प्रचार करते हुए! संस्कृति और साहित्य की रक्षा करना, हर तरह के ज्ञान को संभालना, सच्चाई को सबके सामने लाना, इतिहास के बारे में सभी को बतलाना और भविष्य को सुरक्षित बनाने हेतु काम करने के बारे में लोगों को बताना, ये सारे काम कलम के ज़रिए ही संभव है।

तलवार के बारे में क्या कहा जाए, कितनी अहम भूमिका यह निभाता आ रहा है – देशवासियों की रक्षा करनी हो , देश के शत्रुओं और गुप्त शत्रुओं को ख़त्म करना हो, युद्ध लड़ना हो, या आत्मरक्षा करना हो। छत्रपति शिवाजी महाराज, छत्रपति संभाजी महाराज, महाराणा प्रताप, रानी लक्ष्मीबाई आदि क्रांतिकारियों ने तलवार का इस्तेमाल करके हमारे भारत देश पर जबरन कब्जा करने वालों का खात्मा किया और देश को स्वतंत्र किया। तलवार से इंसान को इतनी ताकत मिलती है कि वह किसी भी शत्रु को मात दे दे। ये सारी बातें तो हो गईं कि इन दोनों का इस्तेमाल कब, कहां, कैसे और क्यों किया जाता था और क्यों किया जाता है। लेकिन अगर बात करें आज की, तो आज की दुनिया कैसी हो गई है? यह सवाल काफी महत्वपूर्ण है, चिंताजनक है क्योंकि दोनों ही चीज़ों का सही इस्तेमाल कम, गलत इस्तेमाल ज़्यादा हो रहा है! यह बात भी स्पष्ट करना चाहूंगा कि तलवार की व्याख्या मैं केवल शस्त्र के तौर पर ही नहीं कर रहा, बल्कि आज के ज़माने में जो आधुनिक हथियार भी इस्तेमाल हो रहे हैं जैसे कि पिस्तौल, चाकू आदि, उनके संदर्भ में भी तलवार की व्याख्या कर रहा हूं। कहीं भी कोई भी अमुक पत्रकार या लेखक भड़काऊ लेख या अफवाह लिख देता है और उसका प्रसार माध्यमों (broadcast communication media) द्वारा प्रचार करने से भी हिचकिचाता नहीं! किसी भी व्यक्ति को इन बातों का ध्यान रखते हुए किसी भी बात का प्रचार करना चाहिए – जो बात बताई जाएगी, उस बात में कितनी सच्चाई है, उस बात से देश के लोगों का भला होगा या नहीं, कहीं कोई भी निर्दोष व्यक्ति या महान देश बेवजह बदनाम ना हो जाए। हां, अगर कहीं कुछ गलत हुआ है, तो लेख ज़रूर लिखे जाने चाहिए, लेकिन यह सुनिश्चित करके कि जिस किसी भी बात की जानकारी मिली है और छपवाई जाएगी, उसमें पूर्णतः सच्चाई है! तलवारें, चाकू निर्दोषों पर चलाई जा रही हैं! स्त्री हो या पुरुष, सभी का बेवजह संहार हो रहा है! ऐसी चीज़ों का होना किसी के लिए भी सही नहीं! पर ऐसी चीज़ें क्यों हो रही हैं? क्योंकि गलत बातों का और अधर्म का प्रचार किया जा रहा है कलम के ज़रिए, जिसका परिणाम ऐसा हुआ है कि लोग बेवजह तलवारों का और अन्य शस्त्रों का इस्तेमाल करते हैं! अधर्म का समूल नाश करना हम सभी का कर्तव्य है। युद्ध करना है, तो देशहित में लड़ना है, देशवासियों को नुकसान पहुंचाने वालों से लड़ना है, न कि गलत बातें बतलानेवालों की बातों में आकर बेवजह किसी को भी नुकसान पहुंचाया जाए। युद्ध अगर करना ही है, तो सेना में भर्ती होकर देश को नुकसान पहुंचाने वाले शत्रुओं से लड़िए, न कि कानून को अपने हाथों में लेकर। याद रखें, कानून को अपने हाथ में लेना गलत है। किसी भी इंसान की जान बचाई तो जा सकती है, लेकिन किसी इंसान की जान लेकर वापस उसी इंसान के शरीर में जान डाल नहीं सकते। आत्मरक्षा करने के लिए मार्शल आर्ट्स ज़रूर सीखें, लेकिन उसका इस्तेमाल सिर्फ तब कीजिए जब आपकी खुद की जान या दूसरे की जान ख़तरे में हो! जीवन ग्रंथों को अपने जीवन में शामिल नहीं करके लोग गलत रास्ते पर चलते जा रहे हैं। श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान योगेश्वर श्रीकृष्ण ने कहा है “क्रोधाद्भवति सम्मोह:” – जिसका अर्थ यह है कि क्रोध (गुस्से) से मनुष्य की बुद्धि का नाश हो जाता है, स्मृति भ्रमित हो जाती है, इन कारणों से ही मनुष्य खुद का नाश कर देता है। धर्म के पथ पर चलना, सच्चाई की राह पर चलना मुश्किल अवश्य है, पर असंभव नहीं। तो क्यों न एक संकल्प करें, खुद के लिए भी और देश के लिए भी, कि हम कलम और तलवार (अलग-अलग शस्त्र और मार्शल आर्ट्स) का इस्तेमाल मानवता के हित में योग्य रीति और योग्य नीति से ही करेंगे, जिनसे हर इंसान को नया जीवन, नई उम्मीद, नया उत्साह हासिल हो और विकास की तरफ नई उड़ान भरी जा सके।

धन्यवाद।

-लेखक और कवि: मकरंद रमाकांत जेना-