सकारात्मक दृष्टिकोण का महत्त्व।
SPIRITUALJULY 2024
8/7/20241 min read
इंसान की ज़िंदगी में आए दिन किसी न किसी तरह से, कोई मुसीबत आती है, तो कभी किसी तरह की बुरी ख़बर भी मिलती है। और तो और, कभी-कभी बहुत सारी समस्याएं और मुसीबतें एक साथ आ जातीं हैं, जिनकी वजह से इंसान के जीवन में नकारात्मकता आ जाती है। ऐसे समय में बहुत ज़रूरी होता है एक इंसान के लिए धैर्य रखना और शांत दिमाग़ से काम लेना। लेकिन वह इन बातों को अपने जीवन में अमल कर कैसे पाएगा? सकारात्मक दृष्टिकोण रखकर।
इतिहास इस बात का गवाह रह चुका है, कि मन में सकारात्मक दृष्टिकोण रखकर काम करने से किसी भी इंसान के लिए कईं असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं, समस्याओं का समाधान हो जाता है और इंसान यश, कीर्ति और धन अर्जित कर पाता है। जब धनुर्धारी अर्जुन कुरुक्षेत्र के युद्ध भूमि में युद्ध करने से पहले “किंकर्तव्यविमूढ़” हो गए थे, तब स्वयं भगवान योगेश्वर श्रीकृष्ण ने उन्हें श्रीमद्भगवद्गीता के ज्ञान से उन्हें सकारात्मकता दी, जिसके परिणामस्वरूप धनुर्धारी अर्जुन का मोह नष्ट हुआ, उन्होंने अधर्म के ख़िलाफ़ युद्ध किया, धर्म की विजय हुई, पांडवों को न्याय मिला, और विश्व को श्रीमद्भगवद्गीता का अनमोल ज्ञान प्राप्त हुआ। छत्रपति शिवाजी महाराज के सामने मुगलिया सल्तनत की बहुत बड़ी सत्ता थी। फिर भी उन्होंने “हिंदवी स्वराज्य” को साकार करने का ध्येय कभी भी नहीं छोड़ा, जिसके परिणामस्वरूप मुगलिया सल्तनत की हार हुई और छत्रपति शिवाजी महाराज विजयी हुए और “हिंदवी स्वराज्य” की स्थापना हुई। विश्व में सुप्रसिद्ध “हैरी पॉटर” की कहानियों की श्रृंखला रचने वाली लेखिका जे. के. रॉलिंग को मशहूर होने से पहले अपनी कहानियों की कईं स्क्रिप्ट्स को लेकर असफलताओं का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी, और प्रयास जारी रखा। और अंततः उन्हें सफलता प्राप्त हुई और उन्होंने अपनी एक अलग पहचान बनाई। सकारात्मक दृष्टिकोण रखने से इंसान कभी भी किसी भी परिस्थिति में हार नहीं मानता और उसके जीवन से उसे अनेक बुराइयों से छुटकारा भी मिल जाता है। अब सवाल यह है कि मन में सकारात्मक दृष्टिकोण रखकर काम करना कैसे? अपनी दिनचर्या में आश्वासन, प्रोत्साहन और उत्साह प्रदान करने वाली पुस्तकों को पढ़कर, जैसे श्रीमद्भगवद्गीता, पंचतंत्र। अच्छी बातें सिखाने वाली क्रांतिकारियों, महापुरुषों, खिलाड़ियों, फौज के जवानों और बुद्धिजीवियों की जीवनी और उनके कार्यों पर आधारित पुस्तकें पढ़कर और चलचित्र देखकर। अन्य चलचित्र भी अवश्य देखना चाहिए, लेकिन इस बात को ध्यान में रखकर कि उस चलचित्र से न सिर्फ आपका मनोरंजन हो, बल्कि आपको कुछ अच्छा सीखने को भी मिले। अंत में इतना ही कहूंगा,
ओ पथ के राही, बीच में कहीं भी रुक जाना नहीं,
परिस्थितियों से विचलित होकर पीछे हटना नहीं,
सकारात्मकता से हर समस्या का समाधान करना,
लोग कुछ भी कहें, अपनी मेहनत जारी रखना,
बुरे वक्त में ज़रूरी है प्रभु को याद करके मेहनत करते रहना,
अच्छे वक्त में ज़रूरी है दूसरों को उनके मुश्किल वक्त में मदद करते रहना,
खुद पर हमेशा बनाए रखना विश्वास,
क्योंकि तेरे हृदय में ही भगवान करते हैं वास।
धन्यवाद।
-लेखक और कवि: मकरंद रमाकांत जेना-