इंतज़ार

POEMS

5/13/20241 min read

प्रिय सखी,

मैंने अपने दिल की बात,

और सारे जस्बात,

लिख भेजे थे खत में,

डाकिया के हाथ,

वक़्त गुज़र गया,

ना जवाब आया और,

ना ही डाकिया आया,

कहीं तुम्हारा पता गलत तो नही,

या मेरी बातों से नाराज़ हो,

चाहे जो भी बात हो,

तुम्हारे खत का इंतज़ार आज भी है....

- अजय चौरसिया