ये कैसा एहसास है

POEMSHINDIJULY 2024

8/7/20241 min read

दिन के ढलने का ना था गम

वक्त कभी लगता ना था कम

न जाने मुझे क्या हो गया

थोड़ा मेरी समझ के पार हो गया

मुस्कुराहटें हसने लगी कुछ अलग सी

धड़कने धड़क ने लगी कुछ अलग सी

बिन मौसम बरसात की दुआ मांगने लगी मैं

उसकी याद में गीत गाने लगी मैं

ऐ खुदा

ये कैसा एहसास है

तू दूर हो कर भी

मेरे पास है

कदम जब उठे, तो तेरे संग चलने के लिए

पल जो लूटे, तो तेरे संग मरने के लिए

मैं ना जाने हूं कितनी गहराईयों में

फिल्हाल तो नहीं हूं तनहाईयो में

मैं ठीक थी पर अब खुश हूं

तेरे इश्क में मदहोश हूं

ना जाने मुझे क्या हो रहा

थोड़ा मेरी समझ के पार हो रहा

ऐ हमसफ़र

ये कैसा एहसास है

तू दूर हो कर भी

मेरे पास है l

- Gopini Dhargave