बिटिया
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POEMSHINDIAJAY CHAURASIA


वक्त से पहले ख्वाब कुचल दिए गए,
के हाथ मेंहदी से रंग दिए गए,
बाबू ने नही पूछी बिटिया, पसंद का है तोरी ?
बस दूसरे के पलड़े में बांध दिए गए,
सब रहे थे झूम झूम,
नई दुल्हींन का माथा चूम चूम,
किसीने न समझी मन की विपदा,
बिटिया के मन की दुविधा,
होने चली बिटिया की बिदाई,
रोए बाबू, रोती माई, रोता है छोटा भाई,
लेकिन कोई भी समझ न पाए,
किसमे है बिटिया की भलाई,
बिटिया ने थे कई ख्वाब सजाए,
लेकिन अब गृहस्ती चलाए ,
ये बात काहे कोई समझ न पाये,
वो भी तो है जीना चाहे,
काहे करते हो बाबा तुम ?
मुझमें और भैया में अंतर,
यही प्रश्न पूछे हर बिटिया,
लेकर मन में पीड़ा भयंकर....
- अजय चौरसिया
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